इंटरव्यू: सोनिया गांधी की पसंद थे, फिर राष्ट्रपति पद से क्यों चूके डॉ. कर्ण सिंह? मनमोहन सिंह ने क्या कहा?

डॉ. कर्ण सिंह

26 दिसंबर 2024:

महज 18 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखने वाले डॉ. कर्ण सिंह ने अमर उजाला डॉट कॉम को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कई बड़े खुलासे किए। साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि साल 2006 में जब देश के नए राष्ट्रपति के लिए नाम फाइनल हो रहे थे, तो उस वक्त किस तरह से आखिरी दौर में उनका नाम कट गया था। उन्होंने यह भी बताया कि उस वक्त वे यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की पसंद थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कुछ ऐसी बात कही, जिसके कारण डॉ. कर्ण सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन सकी। इसके अलावा, डॉ. सिंह ने भारत-पाकिस्तान की 1971 की लड़ाई पर भी अपनी राय व्यक्त की और पाकिस्तानी राष्ट्रपति और इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा भी साझा किया। यहां पर उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय रखी:

कश्मीर समस्या पर भारत का संयुक्त राष्ट्र जाना कितना सही था?

  • “अगर हम कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाते, तो शायद बेहतर होता। शिमला समझौते में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भुट्टो को आसानी से छोड़ दिया था। तब भारत मजबूत स्थिति में था। 1971 में पाकिस्तान को करारी शिकस्त मिली थी और पूर्वी पाकिस्तान, बांग्लादेश बन चुका था। पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव परमेश्वर नारायण हक्सर के पांव पकड़कर कहा था, ‘मुझे बचा लो।'”

2006 में राष्ट्रपति पद से कैसे चूके डॉ. कर्ण सिंह?

  • “यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने दो नाम दिए थे: शिवराज पाटिल और मेरा। बैठक में दोनों नामों पर चर्चा हुई। तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, ‘समाजवादी देश में महाराजा यानी डॉ. कर्ण सिंह को राष्ट्रपति कैसे बना सकते हैं?’ इसके बाद मेरा नाम आखिरी दौर में कट गया। यह अलग बात है कि मैंने कभी अपने नाम के आगे महाराज या युवराज जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया।”

अनुच्छेद-370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने पर डॉ. कर्ण सिंह की राय क्या है?

  • “1846 में हमारे पूर्वजों ने जम्मू-कश्मीर रियासत बनाई थी, जिसमें जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, गिलगित और बाल्टिस्तान प्रांत शामिल थे। तब और अब की परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाना मेरे लिए स्वीकार्य नहीं है। सरकार को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए। महाराजा हरि सिंह ने भारत से संधिपत्र पर दस्तखत किए थे, और अनुच्छेद-370 का प्रावधान किया गया था, जो एक अस्थायी प्रावधान था। हालांकि, यह 70 साल तक चलता रहा। अब समय की जरूरत के मुताबिक बदलाव किया गया है।”

अनुच्छेद-370 हटने के बाद आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है?

  • “आतंकी घटनाएं होती रहेंगी। स्थानीय स्तर पर भी आतंकवादियों के समर्थक मौजूद हैं। हुर्रियत का तमाशा बंद हो गया है और पत्थरबाजी पर अंकुश लगा है। स्थिति पहले से बेहतर हुई है।”

पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) कैसे वापस लिया जा सकता है?

  • “दिल हमेशा बड़ा रखें। बात पीओके को लेने की है, तो यह बिना युद्ध के संभव नहीं है। मणिपुर में आग लगी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में वैसी स्थिति नहीं है। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकी शिविर चला रहा है। हमें डरने की जरूरत नहीं है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय दोनों देशों के बीच पटरी से उतरे संबंध अभी तक ठीक नहीं हो पाए हैं।”

यह साक्षात्कार डॉ. कर्ण सिंह की राजनीति यात्रा, कश्मीर मुद्दे पर उनके विचार और राष्ट्रीय मामलों पर उनके दृष्टिकोण को उजागर करता है।

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