UP: संभल की बावड़ी में लोहे का गेट मिला, पहली मंजिल पर कुएं की खुदाई पर रोक; ASI का सर्वे जारी

संभल बावड़ी

27 दिसंबर 2024:

संभल के चंदौसी स्थित मुस्लिम बहुल मोहल्ला लक्ष्मणगंज में मिली ऐतिहासिक बावड़ी को देखने के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। कई लोग इसे देखकर अपने बचपन की यादें ताजा कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बावड़ी का मुख्य गेट लोहे की सरियों का था, जो दो सीढ़ियों चढ़ने के बाद आता था।

बावड़ी की पहली मंजिल की सफाई जारी

बावड़ी में सातवें दिन भी एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम सर्वेक्षण में जुटी रही। पहली मंजिल के गलियारों से मिट्टी हटाने का काम तेजी से चल रहा है। गुरुवार को 40 से 45 मजदूरों ने गलियारों से मिट्टी हटाई और ट्रैक्टर-ट्रॉली में भरकर बाहर ले गए। दिनभर की मेहनत के बाद पहली मंजिल के दाहिनी ओर के गलियारे का फर्श पूरी तरह साफ कर दिया गया।

सीढ़ियों के सामने मौजूद कुएं की खुदाई पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। नगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि पहली मंजिल की सफाई पूरी होने के बाद ही कुएं के पास की मिट्टी हटाई जाएगी।

एएसआई टीम का निरीक्षण और सर्वे

गुरुवार सुबह 10 बजे एएसआई की टीम, जिसमें राजेश कुमार और मुकेश कुमार शामिल थे, बावड़ी स्थल पर पहुंची। टीम ने गलियारों की नापजोख की, फोटो और वीडियोग्राफी की, और आवश्यक नमूने लिए। यह सर्वेक्षण कार्य सुबह 10 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे तक चला।

पुरानी यादों से जुड़ा स्थानीय जनमानस

बावड़ी देखने आए स्थानीय लोगों ने इससे जुड़ी अपनी पुरानी यादें साझा कीं। एक व्यापारी, मंतेश वार्ष्णेय, ने बताया, “मैं किशोरावस्था में इस बावड़ी पर कई बार आया हूं। उस समय यहां किन्नर रहते थे। यह तीन मंजिला संरचना है, और लोहे की सरियों का गेट इसके प्रवेश द्वार पर स्थित है। गेट से पहले दो सीढ़ियां बनी हैं, और गेट पर एक शिलालेख लगा है, जिसमें बावड़ी के निर्माण से संबंधित जानकारी अंकित है।”

स्थानीय प्राकृतिक सुंदरता की झलक

पुराने समय को याद करते हुए लोगों ने बताया कि बावड़ी के आसपास शरीफा, कमरख और अमरूद के बगीचे थे। बावड़ी का कुआं पहले स्पष्ट दिखता था, और इसकी संरचना बेहद आकर्षक थी।

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि बावड़ी का यह सर्वेक्षण इसके ऐतिहासिक महत्व को उजागर करेगा। बावड़ी की संरचना और गहराई का सही आकलन करने के लिए एएसआई टीम द्वारा सटीक निरीक्षण किया जा रहा है।

संभल की यह बावड़ी न केवल ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि पुरानी संस्कृति और वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण भी है। आगे के सर्वेक्षण से इसके निर्माण काल और इतिहास से जुड़ी कई नई जानकारियां सामने आने की उम्मीद है।

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