यूपी में बिजली निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मियों का विरोध: पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर काम, सीएम को सौंपा पत्र

बिजलीकर्मी

13 जनवरी 2025:

पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल बिजली निगमों को निजीकरण के तहत प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) में संचालित करने के लिए ट्रांजक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति के विरोध में बिजली कर्मियों ने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। रविवार को विभिन्न अपार्टमेंटों में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के पदाधिकारियों से मुलाकात कर बिजली कर्मियों ने निजीकरण के संभावित नुकसान बताए।

सोमवार को बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंता पूरे प्रदेश में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने रविवार को गोमती नगर, गोमती नगर विस्तार सहित विभिन्न कॉलोनियों और अपार्टमेंटों में जनसंपर्क अभियान चलाया। आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का समर्थन करेंगे। लखनऊ सहित सभी जिलों और परियोजनाओं में विरोध सभाएं आयोजित की जाएंगी। लखनऊ स्थित शक्तिभवन में शाम पांच बजे विरोध सभा आयोजित होगी।

टीए नियुक्ति की जांच की मांग

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर पावर कॉर्पोरेशन में ट्रांजक्शन एडवाइजर (टीए) की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है, इसलिए उसके किसी भी प्रस्ताव पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। वर्मा ने यह भी कहा कि यह मामला भविष्य में सीएजी ऑडिट का विषय बन सकता है।

बिजली घाटा और राजस्व वसूली में सुधार

प्रदेश में लाइन लॉस लगातार घट रहा है और राजस्व वसूली में वृद्धि हो रही है। राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ के प्रदेश महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में एटी एंड सी लॉस 40.79% था, जो 2023-24 में घटकर मात्र 16.92% रह गया है। राजस्व वसूली भी वर्ष 2019-20 में 41,219 करोड़ रुपये थी, जो 2023-24 में बढ़कर 62,069 करोड़ रुपये हो गई है। इसमें सरकार की सब्सिडी और सरकारी विभागों पर बकाया राशि शामिल नहीं है।

उन्होंने बताया कि एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2025 तक भारत सरकार की रिवैंप योजना के अंतर्गत 40,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि बुनियादी ढांचे को सुधारने में खर्च की जा रही है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि बिजली चोरी रोकने और राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए बिजली कर्मियों ने निरंतर मेहनत की है।

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