डोनाल्ड ट्रंप: पेरिस समझौते के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका बाहर, शपथ के बाद बड़ा कदम

ट्रंप

21 जनवरी 2025:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ ग्रहण के कुछ घंटों के भीतर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अमेरिका के बाहर होने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। कोरोना महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वाले ट्रंप ने इसे पक्षपातपूर्ण बताते हुए आरोप लगाया कि संगठन चीन को प्राथमिकता देता है और अमेरिका के साथ भेदभाव कर रहा है। ट्रंप ने कहा, “विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमें धोखा दिया है।”

डब्ल्यूएचओ से बाहर होने का फैसला

राष्ट्रपति बनने के आठ घंटे बाद, ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को अलग करने का ऐलान किया। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर कोविड-19 महामारी के कुप्रबंधन और सुधारों को लागू करने में विफलता का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका से संगठन को अनुचित रूप से भारी वित्तीय योगदान की मांग की जाती है, जबकि चीन अपेक्षाकृत कम योगदान करता है।

पेरिस जलवायु समझौते से भी बाहर

शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से बाहर करने की घोषणा की। उन्होंने कैपिटल वन एरिना में कार्यकारी आदेशों के पहले सेट पर हस्ताक्षर करते हुए पेरिस जलवायु संधि से हटने का फैसला लिया। ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि यह फैसला अमेरिकी अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा के हित में है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता

ट्रंप के इस कदम से स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि डब्ल्यूएचओ से बाहर होना अमेरिका के वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व को कमजोर करेगा और भविष्य की महामारियों से निपटने में कठिनाई पैदा कर सकता है।

शपथ ग्रहण समारोह में दिग्गजों की मौजूदगी

रविवार रात आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में वैश्विक तकनीकी कंपनियों के प्रमुख उपस्थित थे। इनमें मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चैन, अमेज़न के सीईओ जेफ बेजोस और उनकी मंगेतर लॉरेन सांचेज, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, और एपल के सीईओ टिम कुक शामिल थे। टिकटॉक के सीईओ शोउ जी च्यू और ट्रंप के सलाहकार एलन मस्क भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।

ट्रंप का बयान और आगे की राह

डब्ल्यूएचओ से अलग होने के अपने फैसले पर ट्रंप ने कहा, “यह कदम अमेरिका के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है। हम ऐसे किसी भी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकते, जो निष्पक्षता के साथ काम करने में असमर्थ है।” हालांकि, विशेषज्ञ इस निर्णय को अमेरिका की वैश्विक भूमिका के लिए नुकसानदेह मान रहे हैं।

ट्रंप के इन निर्णयों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि घरेलू स्तर पर भी इन्हें लेकर बहस तेज हो गई है।

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