MP BJP Politics: सत्ता में अपनों की प्राथमिकता, जिलाध्यक्षों की घोषणा में देरी से प्रदेशाध्यक्ष पर बढ़ा दबाव

मध्यप्रदेश राजनीति

22 जनवरी 2025:

मध्य प्रदेश भाजपा अपने संगठन का विस्तार कर रही है और बीते दिनों जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि, 18 जनवरी के बाद से इस प्रक्रिया पर रोक लग गई है। अब तक 57 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए जा चुके हैं, जबकि 62 जिलों के लिए घोषणा बाकी है। देरी का असर प्रदेश अध्यक्ष के नाम के एलान पर भी हो रहा है।

जिलाध्यक्षों की घोषणा में अड़चनें

1. इंदौर और इंदौर ग्रामीण: मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर और इंदौर ग्रामीण के जिलाध्यक्षों की घोषणा अब तक नहीं हो पाई है। यहां मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट के बीच समर्थकों को लेकर खींचतान जारी है। विजयवर्गीय मौजूदा अध्यक्ष चिंटू वर्मा को फिर से पद पर देखना चाहते हैं, जबकि सिलावट अंतरदयाल को यह जिम्मेदारी दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। उधर, वर्तमान अध्यक्ष गौरव रणदिवे और अन्य उम्मीदवार भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

2. छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा का जिलाध्यक्ष कौन होगा, यह अब तक तय नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री समर्थित शेष राव यादव और सांसद विवेक बंटी साहू समर्थित टीकाराम चंद्रवंशी के बीच खींचतान जारी है।

3. निवाड़ी: निवाड़ी जिले के जिलाध्यक्ष पद के लिए कई नाम सामने आए हैं। पूर्व मंत्री स्व. सुनील नायक के भाई गणेशी लाल नायक, पूर्व विधायक डॉ. शिशुपाल सिंह यादव और रोहिन राय जैसे नामों पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने भी अपना नामांकन भेजा है, जिससे प्रक्रिया और जटिल हो गई है।

4. नरसिंहपुर: नरसिंहपुर में पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल और स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह के बीच खींचतान जारी है। पटेल खेमे ने पहले जालम सिंह पटेल और फिर बीना ओसवाल का नाम आगे बढ़ाया, जबकि राव उदय प्रताप सिंह राजीव सिंह पटेल को जिलाध्यक्ष बनाने पर जोर दे रहे हैं।

प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर असर

जिलाध्यक्षों की घोषणा में हो रही देरी का सीधा असर प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर पड़ रहा है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल पहले ही बढ़ाया जा चुका है और अब उनके स्थान पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति की तैयारी हो रही है। लेकिन, जिलाध्यक्षों के नाम तय न होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा में भी देरी हो रही है।

संगठन में सियासी पेंच

भाजपा जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा में हो रही देरी का मुख्य कारण मुख्यमंत्री, मंत्री और सांसदों द्वारा अपने समर्थकों को पद दिलाने की कोशिश है। यह खींचतान भाजपा के संगठनात्मक निर्णयों को प्रभावित कर रही है।

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