भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार सुबह श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-2 का सफल प्रक्षेपण किया। यह इसरो का 100वां मिशन था। इस सफलता पर इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि इसरो ने 46 वर्षों में 100 मिशन पूरे किए हैं, लेकिन अगले 100 मिशनों का लक्ष्य मात्र पांच वर्षों में हासिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस अवधि में इसरो कुल 200 मिशनों तक पहुंच सकता है।
इसरो प्रमुख का विजन: अगले 5 वर्षों में 100 प्रक्षेपण
उपग्रह एनवीएस-2 के सफल प्रक्षेपण के दौरान, इसरो अध्यक्ष के रूप में अपने पहले मिशन को लेकर वी. नारायणन ने कहा कि अगले पांच वर्षों में 100 प्रक्षेपण करना संभव है। उन्होंने इसरो की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्था ने साइकिल और बैलगाड़ी पर रॉकेट के पुर्जे ले जाने से लेकर चंद्रमा तक पहुंचने तक का सफर तय किया है। आज इसरो दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है और वाणिज्यिक प्रक्षेपण के क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दे रहा है।
इसरो की उपलब्धियां और भविष्य की योजनाएँ
इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि अब तक इसरो ने प्रक्षेपण वाहनों की छह पीढ़ियां विकसित की हैं। पहली पीढ़ी 1979 में प्रोफेसर सतीश धवन के नेतृत्व और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के निर्देशन में विकसित हुई थी। वर्तमान में इसरो ने 548 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है, जिसमें 120 टन का पेलोड और 433 विदेशी उपग्रहों का 23 टन शामिल है।
आगामी मिशन और सहयोग
इसरो अध्यक्ष ने उपग्रह एनवीएस-2 की सफलता के बाद भविष्य के मिशनों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में नासा के सहयोग से निसार मिशन प्रक्षेपित किया जाएगा। इस मिशन के तहत दो रडार होंगे – एक एल-बैंड रडार जिसे इसरो ने विकसित किया है और दूसरा एस-बैंड रडार, जिसे नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला ने विकसित किया है। इस उपग्रह को बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में एकीकृत और परीक्षण किया गया है तथा इसे जल्द ही श्रीहरिकोटा भेजा जाएगा।
नेविगेशन उपग्रहों की आवश्यकता
भारत को अपने स्वयं के नेविगेशन उपग्रह प्रणाली को मजबूत करने के लिए अभी और उपग्रहों की आवश्यकता है। वर्तमान में चार उपग्रह परिचालन में हैं और एनवीएस-2 के प्रक्षेपण के साथ पांचवां उपग्रह तैनात किया गया है। इसरो को तीन और उपग्रहों के लिए मंजूरी मिल गई है और अगले पांच से छह महीनों में एक उपग्रह के प्रक्षेपण की योजना बनाई गई है।
नए लॉन्च पैड और भविष्य की योजनाएँ
इसरो अध्यक्ष ने जानकारी दी कि तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम में एक नया लॉन्च पैड स्थापित किया जा रहा है, जहां निर्माण कार्य पूरा होने के दो साल के भीतर नियमित प्रक्षेपण शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा, सरकार ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण को भी मंजूरी दी है, जिस पर अनुमानित 3,985 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस लॉन्च पैड का उपयोग इसरो के ‘नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल’ (एनजीएलवी) के लिए किया जाएगा।
वाणिज्यिक प्रक्षेपण
इसरो अध्यक्ष ने बताया कि इसरो द्वारा भविष्य में किए जाने वाले अन्य प्रक्षेपणों में एलवीएम3-एम5 प्रक्षेपण एक वाणिज्यिक मिशन होगा, जिसमें ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) और एएसटी स्पेसमोबाइल इंक, यूएसए के बीच एक वाणिज्यिक समझौता हुआ है। श्रीहरिकोटा में एलवीएम3 वाहन प्रणाली तैयार है और मार्च 2025 में इस प्रक्षेपण के लिए वाहन एकीकरण शुरू हो चुका है।
गगनयान और दीर्घकालिक योजनाएँ
इसरो गगनयान कार्यक्रम के तहत मानवरहित जी1 मिशन की तैयारी में भी अच्छी प्रगति कर रहा है और इस वर्ष कुछ और महत्वपूर्ण प्रयोगों का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, सरकार ने 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की योजना बनाई है, जिसके तहत एनजीएलवी विकसित किया जाएगा। यह प्रणाली एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना अधिक लागत प्रभावी होगी और इसकी पेलोड क्षमता तीन गुना अधिक होगी। साथ ही, इसमें पुन: उपयोग की भी सुविधा होगी।
इसरो की बढ़ती क्षमताओं और महत्वाकांक्षी योजनाओं को देखते हुए आने वाले वर्षों में भारत अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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