राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला: लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य, सरकार को वेब पोर्टल बनाने के आदेश

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30 जनवरी 2025:

जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के पंजीकरण के लिए एक वेब पोर्टल शुरू किया जाए। यह आदेश एक याचिका के आधार पर दिया गया, जिसमें लिव-इन जोड़ों ने सुरक्षा की मांग की थी।

न्यायालय की टिप्पणी:
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा, “कई जोड़े लिव-इन संबंध में रह रहे हैं, लेकिन उनके रिश्ते को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलने के कारण वे परिवार और समाज के अन्य लोगों से खतरा महसूस कर रहे हैं। इस कारण वे अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं और अपने जीवन एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।”

पंजीकरण अनिवार्य, जिला स्तरीय समिति का गठन:
न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढंड ने कहा कि जब तक इस संबंध में कोई ठोस कानून नहीं बन जाता, लिव-इन रिलेशनशिप को सक्षम प्राधिकारी या न्यायाधिकरण के समक्ष पंजीकृत कराना आवश्यक होगा। इसके अलावा, राज्य के प्रत्येक जिले में ऐसी समितियों का गठन किया जाएगा, जो लिव-इन जोड़ों की शिकायतों पर विचार करेगी और उनके समाधान की दिशा में कार्य करेगी।

महिला की स्थिति पर कोर्ट की राय:
अदालत ने कहा, “लिव-इन संबंध देखने में आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन इनसे कई जटिलताएं भी जुड़ी होती हैं। ऐसे संबंधों में महिला की स्थिति पत्नी जैसी नहीं होती, जिससे उसे सामाजिक स्वीकृति का अभाव झेलना पड़ता है।”

राज्य सरकार को निर्देश:
पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि एक वेब पोर्टल बनाया जाए, जहां लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत किया जा सके और इससे संबंधित मुद्दों का समाधान हो। सरकार को इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव, विधि एवं न्याय विभाग के प्रधान सचिव तथा न्याय एवं समाज कल्याण विभाग, नई दिल्ली के सचिव को भेजने का निर्देश दिया गया है। इसके अनुपालन में सरकार को मार्च 2025 तक रिपोर्ट पेश करनी होगी।

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