भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) इस हफ्ते कई तरह के संकेतों के बीच अपनी दिशा तय करने की कोशिश कर रहा है। एक तरफ, अमेरिका और एशियाई बाजारों में तेजी का प्रभाव घरेलू बाजार को मजबूती प्रदान कर सकता है। दूसरी तरफ, भारत की दूसरी तिमाही के GDP ग्रोथ आंकड़े और विदेशी निवेशकों की बिकवाली (FIIs Selling) बाजार की चाल को धीमा कर सकते हैं।
शुक्रवार को दिखी थी जोरदार तेजी
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को शेयर बाजार ने शानदार प्रदर्शन किया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 79,032.99 पर खुला और पूरे दिन तेजी के साथ कारोबार करता रहा। सेंसेक्स दिन के उच्चतम स्तर 79,923.90 तक पहुंचा और 759.05 अंकों की मजबूती के साथ 79,802.79 पर बंद हुआ।
इस जोरदार तेजी के पीछे मुख्य वजह विदेशी और घरेलू निवेशकों का सकारात्मक रुख था, साथ ही वैश्विक बाजारों में स्थिरता ने भी बाजार को समर्थन दिया। निफ्टी भी हरे निशान में बंद हुआ, जो दर्शाता है कि बाजार ने पिछले सप्ताह को मजबूती के साथ खत्म किया।
दिसंबर की शुरुआत में बाजार की चाल
साल के आखिरी महीने की शुरुआत से पहले बाजार को लेकर निवेशकों में उत्सुकता है। इस हफ्ते के पहले कारोबारी दिन बाजार की दिशा को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। वैश्विक बाजारों में मजबूती भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है। हालांकि, भारत की GDP ग्रोथ के कमजोर आंकड़े निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकते हैं।
दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ का धीमा होना, घरेलू मांग में गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली, ये सभी कारक बाजार के लिए चुनौतियां पैदा कर सकते हैं।
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ग्लोबल मार्केट का प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती भारतीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बन सकती है। अमेरिका के बाजारों में आई तेजी और एशियाई बाजारों की स्थिरता ने घरेलू निवेशकों को कुछ राहत दी है।
हालांकि, ग्लोबल मार्केट्स में फेडरल रिजर्व की पॉलिसी, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति जैसे कारक घरेलू बाजार की चाल को भी प्रभावित कर सकते हैं।
विदेशी निवेशकों की भूमिका
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FIIs) की बिकवाली पिछले कुछ हफ्तों से भारतीय बाजार पर दबाव बना रही है। FIIs की बिकवाली बाजार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर ऐसे समय में जब GDP ग्रोथ कमजोर हो। अगर विदेशी निवेशक बिकवाली का सिलसिला जारी रखते हैं, तो यह सेंसेक्स और निफ्टी की रफ्तार को प्रभावित कर सकता है।
निवेशकों के लिए क्या है रणनीति?
मौजूदा स्थिति में विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि के निवेशकों को बाजार की गिरावट का फायदा उठाते हुए गुणवत्तापूर्ण शेयरों में निवेश करना चाहिए। छोटी अवधि के निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, क्योंकि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।
वैश्विक संकेतों और घरेलू आंकड़ों पर नजर बनाए रखना जरूरी है। इसके अलावा, सेक्टोरल प्रदर्शन, जैसे बैंकिंग, आईटी, और मेटल, बाजार की दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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