दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण के तहत लगाए गए आपातकालीन नियमों को 2 दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक इन नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि, बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के लिए विशेष राहत की घोषणा की गई है।
GRAP-IV नियमों में कोई रियायत नहीं
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने प्रदूषण नियंत्रण उपायों में लापरवाही के लिए अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि GRAP-IV के तहत निर्धारित आपातकालीन उपायों को लागू करने में गंभीर विफलता सामने आई है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई और अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि पराली जलाने की घटनाएं प्रदूषण को बढ़ाने का एक बड़ा कारण हैं, जिन पर नियंत्रण जरूरी है।
स्कूलों के लिए राहत: हाइब्रिड मोड की अनुमति
स्कूलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए स्कूलों को हाइब्रिड मोड में संचालित किया जा सकता है। हाइब्रिड मोड में छात्रों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाई की सुविधा दी जाएगी। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को यह सुनिश्चित करने को कहा कि स्कूलों पर लगे प्रतिबंधों में आवश्यक ढील दी जाए।
इस निर्णय के तहत स्कूल प्रशासन को यह अधिकार होगा कि वे प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए अपने संचालन को तय करें। इससे बच्चों और अभिभावकों को यह सुविधा मिलेगी कि वे ऑनलाइन या ऑफलाइन, किसी भी माध्यम को चुन सकें।
अधिकारियों की नाकामी पर कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को रोकने में अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि GRAP-IV के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने में कई खामियां उजागर हुई हैं। इन खामियों को दूर करने के लिए अधिकारियों को तुरंत ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण और GRAP-IV की भूमिका
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्थिति में पहुंच चुका है। इसके चलते GRAP-IV के तहत सख्त उपाय लागू किए गए हैं। इनमें निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा और उद्योगों पर सख्त निगरानी जैसे कदम शामिल हैं।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन उपायों का उद्देश्य आम जनता की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण है। इसके बावजूद बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्कूलों को राहत प्रदान की गई है।
इस फैसले से यह साफ हो गया है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कठोर कदम उठाना जरूरी है, लेकिन साथ ही शिक्षा के महत्व को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय प्रदूषण और शिक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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