साल 2024: धीमी वृद्धि और महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था के लिए मिला-जुला सफर, आगे की राह कैसी?

"भारतीय अर्थव्यवस्था 2024"

25 दिसंबर 2024:

साल 2024 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उतार-चढ़ाव से भरा रहा। वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू चुनौतियों के बीच भारत ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। हालांकि, महंगाई और धीमी विकास दर ने अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाए रखा।

वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच मजबूत प्रदर्शन

2024 में भारत ने वैश्विक आर्थिक सुस्ती और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद 8.2% की प्रभावशाली जीडीपी वृद्धि दर्ज की। घरेलू मांग, सरकारी पहलों और निर्यात क्षेत्र के लचीलेपन ने इसे संभव बनाया। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी स्थिर रहा, जो 700 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर को पार कर गया।

उपभोग और निवेश में वृद्धि

घरेलू खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे खुदरा, ऑटोमोबाइल और यात्रा क्षेत्रों को बढ़ावा मिला। पहली बार घरेलू खर्च में भोजन का हिस्सा कुल मासिक व्यय के आधे से कम हो गया। वहीं, रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ, जो विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में आया।

मजबूत जीएसटी संग्रह और पीएमआई प्रदर्शन

मासिक जीएसटी संग्रह औसतन 1.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कर अनुपालन और आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत देता है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के पीएमआई औसत 55 से अधिक रहे, जो औद्योगिक और सेवा क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।

महंगाई और धीमी वृद्धि बनी चिंता

अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 6.21% तक पहुंच गई, जो आरबीआई की सहनशीलता सीमा से अधिक थी। खाद्य और ईंधन की बढ़ती कीमतों ने घर के बजट पर असर डाला। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4% तक गिर गई, जिससे विकास की गति धीमी हुई।

आगे की राह

महंगाई पर काबू पाना और धीमी वृद्धि दर को पटरी पर लाना अगले साल नीति-निर्धारकों के लिए प्रमुख चुनौती होगी। निर्माण क्षेत्र में सुधार और निर्यात बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। आरबीआई से नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है, लेकिन यह कदम महंगाई के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।

साल 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया, लेकिन चुनौतियों से पार पाने के लिए सतत प्रयास और मजबूत नीतियां जरूरी होंगी।