श्रीलंका का भारत के खिलाफ अपनी ज़मीन न इस्तेमाल करने का वादा; दिसानायके ने कहा, जानें इसका चीन से कनेक्शन

श्रीलंका भारत संबंध

17 दिसंबर 2024:

भारत दौरे पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने आश्वासन दिया है कि श्रीलंका अपनी ज़मीन का किसी भी हालत में भारत की सुरक्षा के खिलाफ उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा। नई दिल्ली में रक्षा सहयोग पर हुई चर्चा के दौरान संयुक्त बयान में उन्होंने यह वादा किया। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन भारत के खिलाफ अपने हिंद महासागर मिशन को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा रहा है।

श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। दो साल पहले, जब श्रीलंका कर्ज चुकाने में असफल रहा था, तो चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था और वहां अपने नौसैनिक निगरानी तथा जासूसी जहाज तैनात किए थे। अगस्त 2022 में, चीनी नौसेना का जहाज युआन वांग 5 श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक किया था।

इसके बाद, नवंबर 2023 तक, दो चीनी जासूसी जहाजों को श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की अनुमति दी गई थी। 6 अक्टूबर 2023 को एक चीनी शोध जहाज श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर डॉक हुआ, जिसका उद्देश्य समुद्री पर्यावरण पर रिसर्च करना था। हालांकि, भारत और अमेरिका ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की, और भारत ने आशंका जताई कि यह जहाज जासूसी जहाज हो सकते हैं। भारत ने श्रीलंका से आग्रह किया था कि वह इन जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की अनुमति न दे। भारत की चिंताओं के बाद, श्रीलंका ने जनवरी 2023 में अपने बंदरगाहों पर विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब, श्रीलंका और भारत के बीच हुए रक्षा समझौते के बाद, श्रीलंका ने अपने रुख को स्पष्ट किया है।

श्रीलंका ने कहा कि वह अपने जल क्षेत्र का किसी भी तरीके से भारत की सुरक्षा के लिए हानिकारक उपयोग नहीं होने देगा और न ही किसी ऐसे अभियान को मंजूरी देगा जो क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सके।

सोमवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा, “हमने दो साल पहले अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना किया था, और उस समय भारत ने हमारा भरपूर समर्थन किया। श्रीलंका भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि श्रीलंका हमेशा अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करेगा।

इसके साथ ही, उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह आश्वासन दिया है कि हम अपनी ज़मीन का किसी भी तरह से भारत के हितों के लिए हानिकारक उपयोग नहीं होने देंगे। भारत के साथ हमारा सहयोग बढ़ेगा, और मैं भारत के प्रति अपने निरंतर समर्थन का आश्वासन देता हूं।