वायुसेना प्रमुख की चिंता: चीन बना रहा छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान, भारत को अब भी तेजस का इंतजार

भारतीय वायुसेना

9 जनवरी 2025:

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, जबकि भारत अभी भी तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में समय का बेहद महत्व होता है, और यदि समयसीमा का पालन न किया जाए तो तकनीक की उपयोगिता समाप्त हो जाती है।

तेजस की देरी पर क्या बोले वायुसेना प्रमुख? 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में ‘वायुक्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ विषय पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा, “साल 2016 में तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। यह प्रोजेक्ट 1984 में शुरू हुआ था। इसके 17 साल बाद विमान ने पहली उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई। आज 2025 में भी हम पहले 40 विमानों का इंतजार कर रहे हैं। यह हमारी उत्पादन क्षमता को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा, “हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और अधिक स्त्रोत विकसित करने चाहिए, ताकि उत्पादकों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर रद्द भी किया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।” वायुसेना प्रमुख ने क्षमता निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और कार्यबल को भी प्रशिक्षित करना आवश्यक है।

‘तकनीक समय पर न मिले तो उपयोगिता खो देती है’ एयर चीफ मार्शल ने कहा कि अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश और रक्षा क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम अनुसंधान और विकास में रक्षा बजट का केवल पांच प्रतिशत खर्च कर रहे हैं, जबकि इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाना चाहिए। यदि अनुसंधान और तकनीक समय पर पूरी न हो, तो उनकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है।”

चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर चिंता भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें भी देरी हो रही है। वहीं, चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण शुरू कर दिया है। वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर चुनौतियां बढ़ रही हैं। दोनों ओर के देश अपनी सैन्य क्षमताओं में तेजी से वृद्धि कर रहे हैं। चीन ने न केवल संख्याबल में, बल्कि तकनीक के मामले में भी तेजी से प्रगति की है। उसने हाल ही में छठी पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान जे-20 और जे-35 का परीक्षण किया है।”